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कविता

युगांतर

महेन्द्र भटनागर


अब तो
धरती अपनी,
अपना आकाश है!

सूर्य उगा
लो
फैला सर्वत्र
             प्रकाश है!

स्वाधीन रहेंगे
सदा-सदा
पूरा विश्वास है!

मानव-विकास का चक्र
न पीछे मुड़ता
            साक्षी इतिहास है!
यह
प्रयोग-सिद्ध
तत्व-ज्ञान
             हमारे पास है!


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हिंदी समय में महेन्द्र भटनागर की रचनाएँ